Corona Poem
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- साल दो हजार बीस ,
- जहाँ बढ़ते गए कोरोना वायरस के मरीज,
- वुहान से था आरम्भ इसका ,
- चाइना का था ये अस्त्र कैसा ,
- विषाद फैला सबके भेष में ,
- जब बढ़ गया कोरोना ,
- दुनिया के अनेक देश में ।
- खौफ भी और मृत्यु भी,
- जब आई एक साथ यूँ ,
- मर गए कई हजारों ,
- ना कर पाए इलाज क्यों
- विमर्श उनकी मौत पर ,
- परियोजन पर अब देश है ,
- सुनसान ये जहान ,
- कर्फ्यू सा माहौल है ।
- चिंतित अब संसार है ,
- बस डॉक्टर ही भगवान है ,
- अस्त व्यस्त है गिरस्त ,
- बस कोरोना का दहशत है ,
- कर लिया निवारण अब देशों ने ,
- बस इति कोरोना कि आस है ।
- --- किशन त्रिपाठी
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