अब नहीं खिलता वह चेहरा ,
अब नहीं आती मुस्कान ,
अब नहीं आते वह दिन ,
जिनमें होती थी खुशियों की बरसात |
जीवन है उस मोड़ पर ,
जहाँ कभी ना रुका था ,
खुशियों की तकदीर से मानों
बिछड़ सा गया है |
है आशाएं मन में मेरे ,
पर अंधेरा चारों ओर घना था ,
उदासीन सा मन मेरा ,
खुशियों की तलाश में चला है |
जाऊँ किस पथ-किस मार्ग ?
जहाँ हो खुशियों की बरसात सदा ,
करें किस पर विश्वास यहाँ ,
कौन है दिल का अमीर यहाँ ?
वंचित-वंचित है अब दिल मेरा,
अब किसकी यह बात सुने ,
एकांत भाव से जीने की ,
बस अब एक ही आस रखें |
विहीन भले यह हाथ अभी,
ऊँची भरनी उड़ान है,
अपरिचित हूँ पंखों से भले,
समय के साथ उनकी भी तलाश है |
|| किशन त्रिपाठी ||
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