जब लड़ाई अपनों से हो,
और जीतना तब आवश्यक हो जाता है,
जब लड़ाई अपने आप से हो,
मंजिल मिले यह तो मुकद्दर की बात है,
पर हम कोशिश भी ना करें,
यह तो गलत बात है।
गिरना भी अच्छा है दोस्तों,
औकात का पता चलता है,
बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को,
तो अपनों का पता चलता है,
सीख रहा हूं अब मैं भी,
इंसानों को पढ़ने का हुनर,
सुना है चेहरे पर
किताबों से ज्यादा लिखा होता है।
रब ने नवाजा हमें जिंदगी देकर,
और हम शौहरत मांगते रह गए,
जिंदगी गुजार दी शौहरत के पीछे,
फिर जीने की मुहूर्त मांगते रह गए ।
यह कफन,
यह जनाजे,
यह कब्र,
सिर्फ बातें हैं मेरे दोस्त,
वरना मर तो इंसान तभी जाता है,
जब याद करने वाला कोई ना हो।
यह समंदर भी तेरी
तरह खुदगर्ज निकला,
जिंदा थे,
तो तैरने नहीं दिया,
और मर गए,
तो डूबने ना दिया।
क्या बात करें,
इस दुनिया की,
हर शख्स के,
अपने अफसाने हैं,
जो सामने है,
उसे लोग बुरा कहते हैं,
और जिसे कभी देखा ही नहीं,
उसे लोग खुदा कहते हैं।
आज मुलाकात हुई
जाती हुई उम्र से,
मैंने कहा जरा ठहरो तो
वह हंसकर बोली,
मैं उम्र हूं ठहरती नहीं,
पाना चाहते हो मुझको,
तो मेरे हर कदम के संग चलो,
मैंने भी मुस्कुराते हुए कह दिया
कैसे चलूं मैं तेरा बनकर हर कदम?
तेरे संग चलने पर,
छोड़ना होगा मुझे,
मेरा बचपन,
मेरी नादानी,
मेरा लड़कपन,
तू ही बता दे...
कैसे समझदारी की दुनिया बना लूं
जहां है नफरतें,
दूरियां,
शिकायतें,
और अकेलापन।
मैं तो दुनिया ए - चमन में बस एक मुसाफिर हूं,
गुजरते वक्त के साथ,
एक दिन यूं ही गुजर जाऊंगा,
करके कुछ आंखों को नम,
कुछ दिनों में यादें बनकर,
बस जाऊंगा।
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